SHIV CHAISA SECRETS

Shiv chaisa Secrets

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बृहस्पतिदेव की कथा

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥

अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

दोस्तों अब हम श्री शिव जी के भजन को क्रमवार लिस्ट के रूप में आप लोगों के लिए प्रस्तुत कर रहे हैं। प्रत्येक भजन का पूरा आर्टिकल लिखने पर यह लेख बहुत बड़ा हो जाएगा, इसलिए हमने नीचे क्रमवार रखे हैं। आप अपने पसंद का भजन को क्लिक करके पूरा पढ़ सकते हैं

अर्थ- हे गिरिजा पति हे, दीन हीन पर दया बरसाने वाले भगवान शिव आपकी जय हो, आप सदा संतो के प्रतिपालक रहे हैं। आपके मस्तक पर छोटा सा चंद्रमा शोभायमान है, आपने कानों में नागफनी के कुंडल डाल रखें हैं।

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

धूप दीप नैवेद्य Shiv chaisa चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत Shiv chaisa कथा

अर्थ- माता मैनावंती की दुलारी अर्थात माता पार्वती जी आपके बांये अंग में हैं, उनकी छवि भी अलग से मन को हर्षित करती है, तात्पर्य है कि आपकी पत्नी के रुप में माता पार्वती भी पूजनीय हैं। आपके हाथों में त्रिशूल आपकी छवि को और भी आकर्षक बनाता है। आपने हमेशा शत्रुओं का नाश किया है।

शिव मंदिर में दीप जला के करलो मन Shiv chaisa उजियारा…

कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुख हरहु हमारी॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

प्यासी आत्मा, बनके योगी, तेरी शरण में आया

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